EDITORIAL FOR 11-08-13

मायावती को सुप्रीम कोर्ट ने दी राजनीतिक संजीवना


आय से अधिक सम्पत्ति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व बहुजन समाज पार्टी अध्यक्ष मायावती को गुरुवार को बड़ी राहत दी। अदालत ने उनके खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का मामला निरस्त करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने से इंकार कर दिया। आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने से संबंधित मामले में प्राथमिकी निरस्त करने के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका का निपटारा करते हुए प्रधान न्यायाधीश पी. सदाशिवम और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने कहा कि पिछले साल जुलाई के उनके फैसले का संबंध सिर्प ताज गलियारा प्रकरण से था। न्यायाधीशों ने कहा कि यह भी स्पष्ट किया जाता है कि हमने ताज धरोहर गलियार परियोजना, जो विवाद हमारे सामने आया था, से संबंधित शीर्ष अदालत के निर्देशों के अलावा सीबीआई के दावे, हस्तक्षेपकर्ता या मायावती के रुख से जुड़े किसी भी पहलू पर विचार नहीं किया है। न्यायालय ने मायावती के खिलाफ नौ साल पुराना आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने का मामला निरस्त करते हुए कहा था कि सीबीआई ने उसके आदेशों को ठीक से समझे बगैर ही कार्रवाई की जबकि उसका आदेश ताज गलियारा प्रकरण में बगैर मंजूरी के उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 17 करोड़ रुपए के भुगतान संबंधी मामले तक ही सीमित था। इस ताजे फैसले से यहां बहन जी को एक तरह से राजनीतिक संजीवनी मिल गई है वहीं समाजवादी पार्टी बैकफुट पर आ गई है। राहत मिलने के बाद मायावती ने विरोधियों को कड़ा जवाब दिया है। उन्होंने कहा है कि कोर्ट के फैसले से पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह पैदा होगा और वह जोरशोर से चुनावी तैयारी में जुटेंगे। जिस समय सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव की आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में केंद्र सरकार से समझौते के आरोप लग रहे हैं उस समय मायावती को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। मायावती ने भी खुलकर हुंकार भरी है। उन्होंने कहा है कि उन्हें बदनाम करने की साजिश चल रही थी। टीवी, मीडिया में उनके खिलाफ गलत बयानबाजी की जा रही थी। उन्होंने एनडीए सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने 2003 में उन्हें गलत मामले में फंसाया था। मायावती ने कहा कि कोर्ट के फैसले से वह बहुत खुश हैं। उनके खिलाफ यह मामला कांशीराम के जीवित रहते दायर किया गया था। मायावती ने कहा कि अगर कांशीराम के जीवित रहते वह बरी हो जातीं तो उन्हें खुशी होती। निश्चित रूप से बहन जी के सिर से भारी बोझ उतर गया होगा और अब वह और खुलकर बिना किसी दबाव के काम कर सकेंगी। हालांकि सपा, भाजपा और कांग्रेस के लिए यह फैसला थोड़ा-सा सेटबैक माना जा सकता है। उनके हाथों से दबाव बनाने का एक मुद्दा हाथ से निकल गया है।
-अनिल नरेन्द्र
एंटनी पाकिस्तान के रक्षामंत्री? क्यों न हो हाफिज सईद में इतनी हिम्मत


श्री एके एंटनी भारत के रक्षामंत्री हैं या पाकिस्तान के? जिस तरह के वह बयान देते हैं उससे तो यही लगता है कि वह पाकिस्तान के रक्षामंत्री हैं। यह कहना कि पुंछ सेक्टर में भारतीय जवानों पर घात लगाकर हमला करने वाले आतंकी, जो पाक सेना की वर्दी पहने हुए थे पर हंगामा होना ही था। समझ नहीं आया कि एंटनी जैसे सुलझे व्यक्ति ने ऐसा बकवास बयान दे कैसे दिया। यही नहीं, पाकिस्तान की तरह बार-बार बयान भी बदला। 6 अगस्त को कहा कि भारी हथियारों से लैस 20 आतंकियों ने हमला किया। इनमें से कुछ ने पाकिस्तानी सेना की वर्दी पहनी थी। इससे अगले दिन कहा कि मैंने सदन में जो भी जानकारी दी वह उस दौरान तक उपलब्ध सूचना के आधार पर थी। सेना प्रमुख के लौटने पर सदन को पूरा ब्यौरा दूंगा। 8 अगस्त को कहा कि अब यह स्पष्ट है कि पाकिस्तानी सेना का विशेष सैन्य दल ही इस हमले में शामिल था। हम सभी जानते हैं कि पाकिस्तानी सेना के समर्थन, सहायता और सुविधा मुहैया कराए बिना और उसकी प्रत्यक्ष भागीदारी के बिना पाक की ओर से कुछ भी नहीं होता। एंटनी के पहले बयान का नतीजा यह हुआ कि पाकिस्तान और जेहादी संगठनों को न केवल एक बहाना मिल गया बल्कि उनके हौसले भी बुलंद हो गए। तभी तो 26/11 के मास्टर माइंड हाफिज सईद ने कराची में एक रैली में कहा कि साल 2000 में लाल किले पर किए गए हमले को दोहराया जाए। उसने बका कि भारत में साल 2000 जैसा हमला किया जाना बेहद जरूरी है। सईद ने लाहौर में हजारों लोगों के साथ ईद की नमाज अदा की। पाक के प्रसिद्ध गद्दाफी स्टेडियम में ईद की नमाज की अगुवाई की। इसके कुछ घंटे पहले जमात-उद-दावा प्रमुख ने ट्विट किया था। समय नजदीक है जब कश्मीर, फलस्तीन और बर्मा में कुचले गए लोग आजादी की हवा में ईद मनाएंगे। हजारों लोगों ने सईद के साथ ईद की नमाज अदा की। सईद पर एक करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम है। सईद के पोस्टर शहर के विभिन्न स्थानों पर लगे थे। हम हाफिज सईद को दोषी नहीं कह सकते क्योंकि हमारे अपने रक्षामंत्री उनकी तरफदारी करने में लगे हुए हैं और जिस सरकार के वह मंत्री हैं उसने चूड़ियां पहन रखी हैं। धीरे-धीरे इस घातक हमले की डिटेल्स सामने आ रही है। पुंछ के सरला गांव के पास चीता पोस्ट पर पाकिस्तान की 801 मुजाहिद रेजीमेंट ने ही हमला किया था। हालांकि इस बारे में सेना मुख्यालय का केवल इतना ही कहना है कि जहां हमला हुआ था उसके उस पार 801 मुजाहिद रेजीमेंट ही तैनात है लेकिन खुफिया सूत्र बताते हैं कि हमले में मुजाहिद रेजीमेंट ही शामिल थी। इस रेजीमेंट में लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज मोहम्मद सईद की अच्छी घुसपैठ है। हमारी सरकार तो जो कर रही है वह शर्मनाक है पर हमारी सेना क्या कर रही है? कभी वह हमारे जवानों के सिर काट ले जाते हैं तो कभी घात लगाकर सीमा के अन्दर चार सौ मीटर आकर पांच सैनिकों की हत्या कर देते हैं, क्या हमारी सेना ऐसे हमलों के लिए तैयार नहीं रहती? ताजा हमले के बाद हालात का जायजा लेने पुंछ गए जनरल विक्रम सिंह ने उत्तरी कमान के अधिकारियों की जमकर क्लास ली। उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक उन्होंने आधारभूत सवाल उठाया कि एलओसी पर ऐसे कमांडो ऑपरेशन को रोकने के लिए लगे माइंज और रात में भी कारगर तरीके से काम करने वाली एचएमटीआई दूरबीन की सुविधा के बावजूद वह एसएसजी ऑपरेशन को क्यों नहीं रोक पा रहे? जनवरी में भी इसी एसएसजी ने मेंढर इलाके में एलओसी के भीतर घुसकर दो जवानों की हत्या कर दी थी और एक का सिर काटकर अपने साथ ले गए थे। सूत्रों के मुताबिक विक्रम सिंह ने यह सवाल भी उठाया कि जनवरी में जवान के सिर काटने की घटना के बाद तय एमओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेशनल प्रोसीजर) का पालन क्यों नहीं किया। देश की इज्जत तो दांव पर है ही पर उससे ज्यादा भारतीय थल सेना की प्रतिष्ठा भी दांव पर है जो बार-बार वही गलती दोहराती चली आ रही है।
-अनिल नरेन्द्र

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